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RSS Desh ka Sabse Bada Aatankwadi Sangathan
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RSS Desh ka Sabse Bada Aatankwadi Sangathan

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Item Description

RSS Desh ka Sabse Bada Aatankwadi Sangathan book

This book is author by S. M. Mushrif and published by Pharos Media

“इस पुस्तिका के लेखक एस एम मुशरिफ़(पूर्व आई जी पुलिस, महाराष्ट्र) ने बहुत गहराई के साथ अध्ययन करके अत्यंत संक्षिप्त मगर व्यापक शब्दों में एक बेहद ख़तरनाक, मक्कार और आतंकवादी संगठन का असली चेहरा देश के सामने पेश किया है। आरएसएस की अनुमति के बिना भारत में पक्षी भी पर नहीं मार सकता। बेहद शक्तिशाली और प्रभावशाली पकड़ रखने वाला यह संगठन देश के सभी प्रमुख संस्थानों पर क़ब्ज़ा जमाए बैठा है। इसके परिणामस्वरूप देश के हर व्यवसाय में इसका दख़ल दिन-रात जारी रहता है। हमारा वैश्विक अध्ययन हमें यह बताता है कि उसकी अनुमति के बिना देश में कोई भी बड़ी लेकिन बुरी घटना घटित नहीं हो सकती। हमारी यह सभी बातें पाठकों को शायद अतिशयोकित लगें । लेकिन इस तथ्य को स्वीकार आरएसएस वाले भी निजी तौर पर करते हैं और हम जैसों को उनकी राह का रोड़ा नहीं बनने की अधिसूचना और ढकी-छुपी धमकी भी देते हैं। आख़िर सवाल यह है कि हम इस संगठन की शक्ति का पूरा अनुमान होने के बावजूद यह क़दम उठाकर आत्महत्या तो नहीं कर रहे हैं? लेकिन इस प्यारे वतन के सदियों के इतिहास का बारीकी से अध्ययन करें तो पता चलता है कि हमारे कई सुधारकों को इसी कठिन मार्ग से गुज़रना पड़ा है। दरअसल आरएसएस की स्थापना तो केवल स्वतंत्रता संघर्ष का विरोध करने के लिए की गयी थी। वर्तमान में आरएसएस और इससे पहले आर्य भट्ट ब्राह्मण वादियों ने बहुसंख्यक समुदाय को लूटने पर ही संतोष नहीं किया बल्कि ऐसी प्रणाली स्थापित की है कि देश में अराजकता का यह दौर-दौरा हमेशा बरक़रार रहे। इसीलिए हम इस पुस्तिका को पूरी ज़िम्मेदारी के साथ और जान हथेली पर रखकर पाठकों के हवाले कर रहे हैं।”


- जस्टिस बी जी कोलसे पाटिल  (अध्यक्ष लोकशासन आंदोलन पार्टी, देश बचाओ अघाड़ी)


Additional Informations

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Author S. M. Mushrif
Language Hindi
Book Cover Paperback
Size Standard
Publisher Pharos Media

A Video about Product

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This book is author by S. M. Mushrif and published by Pharos Media

“इस पुस्तिका के लेखक एस एम मुशरिफ़(पूर्व आई जी पुलिस, महाराष्ट्र) ने बहुत गहराई के साथ अध्ययन करके अत्यंत संक्षिप्त मगर व्यापक शब्दों में एक बेहद ख़तरनाक, मक्कार और आतंकवादी संगठन का असली चेहरा देश के सामने पेश किया है। आरएसएस की अनुमति के बिना भारत में पक्षी भी पर नहीं मार सकता। बेहद शक्तिशाली और प्रभावशाली पकड़ रखने वाला यह संगठन देश के सभी प्रमुख संस्थानों पर क़ब्ज़ा जमाए बैठा है। इसके परिणामस्वरूप देश के हर व्यवसाय में इसका दख़ल दिन-रात जारी रहता है। हमारा वैश्विक अध्ययन हमें यह बताता है कि उसकी अनुमति के बिना देश में कोई भी बड़ी लेकिन बुरी घटना घटित नहीं हो सकती। हमारी यह सभी बातें पाठकों को शायद अतिशयोकित लगें । लेकिन इस तथ्य को स्वीकार आरएसएस वाले भी निजी तौर पर करते हैं और हम जैसों को उनकी राह का रोड़ा नहीं बनने की अधिसूचना और ढकी-छुपी धमकी भी देते हैं। आख़िर सवाल यह है कि हम इस संगठन की शक्ति का पूरा अनुमान होने के बावजूद यह क़दम उठाकर आत्महत्या तो नहीं कर रहे हैं? लेकिन इस प्यारे वतन के सदियों के इतिहास का बारीकी से अध्ययन करें तो पता चलता है कि हमारे कई सुधारकों को इसी कठिन मार्ग से गुज़रना पड़ा है। दरअसल आरएसएस की स्थापना तो केवल स्वतंत्रता संघर्ष का विरोध करने के लिए की गयी थी। वर्तमान में आरएसएस और इससे पहले आर्य भट्ट ब्राह्मण वादियों ने बहुसंख्यक समुदाय को लूटने पर ही संतोष नहीं किया बल्कि ऐसी प्रणाली स्थापित की है कि देश में अराजकता का यह दौर-दौरा हमेशा बरक़रार रहे। इसीलिए हम इस पुस्तिका को पूरी ज़िम्मेदारी के साथ और जान हथेली पर रखकर पाठकों के हवाले कर रहे हैं।”


- जस्टिस बी जी कोलसे पाटिल  (अध्यक्ष लोकशासन आंदोलन पार्टी, देश बचाओ अघाड़ी)

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