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Mahan Vad Vivad Bauddh Dhamm aur Isai Dharm
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Mahan Vad Vivad Bauddh Dhamm aur Isai Dharm

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Item Description

Mahan Vad Vivad Bauddh Dhamm aur Isai Dharm book

This book is author by J. M. Pbal and published by Samyak Prakashan

English version of this book name is "The Great Debate Buddhism and Christianity Face to Face"

चर्चित पुस्तक "The Great Debate Buddhism and Christianity Face to Face"का प्रामाणिक एवं मुकम्मल हिंदी अनुवाद।

यह पुस्तक 1873 में श्रीलंका में बौद्ध और ईसाइयों के बीच हुए शास्त्रार्थ का विवरण प्रस्तुत करती है, जिसे जे.एम.पीबलस ने तात्कालिन समाचारपत्रों के कार्यालयों से भाषण संबंधी रिपोर्टं इकट्ठी करके तैयार किया था। पुस्तक की प्रतियां जब अमेरीका पहुंची तो कइयों को बुद्धिज़्म की बाबत पहली बार पता चला था। इस पुस्तक से बुद्धिज्म को जानकर अमेरिका के कर्नल एच.एस. ओकाल्ट की रुचि इस धर्म में बढ़ गई और उन्होंने श्रीलंका में बुद्धिज्म के पुनरुत्थान में सारा जीवन लगा दिया. और भी अनेक लोग इस पुस्तक से विश्व भर में प्रभावित हुए होंगे।

इस पुस्तक में दोनों धर्मों के अधिकारी विद्वान् अपने-अपने धर्म का परिचय देते हैं, उसका मण्डन करते हैं और प्रतिपक्षी धर्म की वास्तविक अथवा कथित कमियों त्रुटियों को रेखांकित करते हैं।

इस शास्त्रार्थ के समय हजारों की संख्या में लोग उपस्थित थे परंतु ना किसी ने हो-हल्ला किया, ना नारे लगाए न किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची। वक्ताओं ने भी न प्रतिपक्षी के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया ना उसे नीचा दिखाने की कोशिश की और ना ही वहां उपस्थित अपने अपने धर्मां के अनुयायियों को उकसाने, बहकाने व भड़काने की कोशिश की. सारा शास्त्रार्थ 'वादे वादे जायते तत्त्वबौध:' के अनुसार चला। दोनों धर्मां की अनेक बारीकियां सामने आई। कई भ्रांतियां दूर हुईं और कई कम ज्ञात तथ्य सामने आए।

इस पुस्तक को उन्हें अवश्य पढ़ना चाहिए और इससे सीखना चाहिए जो दूसरे धर्म की बात करते-करते Hate Speech  पर उतर आते हैं और घृणा फैलाने लगते हैं। वर्तमान स्थितियों में इस पुस्तक की इतनी उपदेयता है कि उसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता।

इस पुस्तक में आठ व्याख्यान है, चार पादरी द्वारा दिए हुए और चार बौद्ध भिक्षु द्वारा दिए गए। यह व्याख्यान बहुत ही ज्ञानवर्धक और विचार उत्तेजक हैं।

इस दुर्लभ पुस्तक का सफल अनुवाद विद्वान एवं बुद्धिवादी लेखक डॉ. सुरेंद्र अज्ञात जी ने अपनी सेहत और मौसम के नासाज होने के बावजूद इस पुस्तक के कठिन अनुवाद कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। हमारे पाठकों को चाहिए कि अज्ञात जी के समूचे साहित्य के अध्ययन करें और दूसरों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करें तभी इस पुस्तक के अनुवाद का प्रयास सफल माना जाएगा।


Additional Informations

Here are some more information related to Mahan Vad Vivad Bauddh Dhamm aur Isai Dharm having in our Books on Dharma (Religion) category list.


Author J. M. Pbal
Editor Dr. Surender Agyat
No. of Pages 120
Language Hindi
Book Cover Paperback
Size Standard
Publisher Samyak Prakashan

A Video about Product

Here is the informative video related to Mahan Vad Vivad Bauddh Dhamm aur Isai Dharm having in our Books on Dharma (Religion) category list. For more videos related to our products, you can watch on our Youtube channel Bahujan Store


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This book is author by J. M. Pbal and published by Samyak Prakashan

English version of this book name is "The Great Debate Buddhism and Christianity Face to Face"

चर्चित पुस्तक "The Great Debate Buddhism and Christianity Face to Face"का प्रामाणिक एवं मुकम्मल हिंदी अनुवाद।

यह पुस्तक 1873 में श्रीलंका में बौद्ध और ईसाइयों के बीच हुए शास्त्रार्थ का विवरण प्रस्तुत करती है, जिसे जे.एम.पीबलस ने तात्कालिन समाचारपत्रों के कार्यालयों से भाषण संबंधी रिपोर्टं इकट्ठी करके तैयार किया था। पुस्तक की प्रतियां जब अमेरीका पहुंची तो कइयों को बुद्धिज़्म की बाबत पहली बार पता चला था। इस पुस्तक से बुद्धिज्म को जानकर अमेरिका के कर्नल एच.एस. ओकाल्ट की रुचि इस धर्म में बढ़ गई और उन्होंने श्रीलंका में बुद्धिज्म के पुनरुत्थान में सारा जीवन लगा दिया. और भी अनेक लोग इस पुस्तक से विश्व भर में प्रभावित हुए होंगे।

इस पुस्तक में दोनों धर्मों के अधिकारी विद्वान् अपने-अपने धर्म का परिचय देते हैं, उसका मण्डन करते हैं और प्रतिपक्षी धर्म की वास्तविक अथवा कथित कमियों त्रुटियों को रेखांकित करते हैं।

इस शास्त्रार्थ के समय हजारों की संख्या में लोग उपस्थित थे परंतु ना किसी ने हो-हल्ला किया, ना नारे लगाए न किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची। वक्ताओं ने भी न प्रतिपक्षी के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया ना उसे नीचा दिखाने की कोशिश की और ना ही वहां उपस्थित अपने अपने धर्मां के अनुयायियों को उकसाने, बहकाने व भड़काने की कोशिश की. सारा शास्त्रार्थ 'वादे वादे जायते तत्त्वबौध:' के अनुसार चला। दोनों धर्मां की अनेक बारीकियां सामने आई। कई भ्रांतियां दूर हुईं और कई कम ज्ञात तथ्य सामने आए।

इस पुस्तक को उन्हें अवश्य पढ़ना चाहिए और इससे सीखना चाहिए जो दूसरे धर्म की बात करते-करते Hate Speech  पर उतर आते हैं और घृणा फैलाने लगते हैं। वर्तमान स्थितियों में इस पुस्तक की इतनी उपदेयता है कि उसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता।

इस पुस्तक में आठ व्याख्यान है, चार पादरी द्वारा दिए हुए और चार बौद्ध भिक्षु द्वारा दिए गए। यह व्याख्यान बहुत ही ज्ञानवर्धक और विचार उत्तेजक हैं।

इस दुर्लभ पुस्तक का सफल अनुवाद विद्वान एवं बुद्धिवादी लेखक डॉ. सुरेंद्र अज्ञात जी ने अपनी सेहत और मौसम के नासाज होने के बावजूद इस पुस्तक के कठिन अनुवाद कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। हमारे पाठकों को चाहिए कि अज्ञात जी के समूचे साहित्य के अध्ययन करें और दूसरों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करें तभी इस पुस्तक के अनुवाद का प्रयास सफल माना जाएगा।

Additional Informations

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Author J. M. Pbal
Editor Dr. Surender Agyat
No. of Pages 120
Language Hindi
Book Cover Paperback
Size Standard
Publisher Samyak Prakashan
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